प्रेस विज्ञप्ति (दिनांक :08/11/2025)
माईंस एवं एनवॉयरनमेंट उप समिति की संयुक्त बैठक सम्पत्र
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झारखण्ड चैंबर ऑफ कॉमर्स की माईंस एंड एनवायरनमेंट उप समिति की संयुक्त बैठक चेम्बर भवन में हुई। उप समिति चेयरमेन नितेश शारदा ने कहा कि इस बार उप समिति में राज्य के प्रत्येक जिले से सदस्यों को जोड़ने का प्रयास किया जायेगा ताकि खनिज क्षेत्र की समस्याओं को जमीनी स्तर से समझकर व्यापक रूप से उठाया जा सके। बैठक में मुख्य रूप से पत्थर खनिज लीज की समाप्ति (वर्ष 2026 एवं 2027 तक) के विषय पर विस्तृत चर्चा हुई। सदस्यों ने बताया कि सरकारी भूमि पर अनेक लीजें पहले ही समाप्त हो चुकी हैं परंतु राज्य सरकार द्वारा की गई नीलामी प्रक्रिया पूरी तरह विफल सिद्ध हुई है।
चेम्बर ने सरकार द्वारा अपनाई गई पत्थर लीज ब्लॉक नीलामी प्रक्रिया की आलोचना करते हुए कहा कि यह नीति पूर्णतः असफल रही है। नीलामी सफल न होने के कारण राज्य में खनन गतिविधियाँ लगभग ठप पड़ गई हैं जिससे हजारों मजदूर बेरोजगारी एवं भुखमरी की स्थिति में पहुँच गए हैं। यह भी उल्लेख किया गया कि वर्ष 2017 से अब तक सरकारी भूमि पर नए पत्थर लीज या नवीकरण पूरी तरह बंद हैं। लगभग 10 वर्षों की लीज अवधि अब समाप्ति के कगार पर है। वर्तमान में सरकार केवल रैय्यत भूमि पर 3 हेक्टेयर तक के नए लीज या नवीकरण की अनुमति दे रही है। झारखण्ड में रॉयल्टी दरें पड़ोसी राज्यों की तुलना में लगभग दोगुनी हैं। सदस्यों ने आशंका जताई कि 2027 में सभी लीजों की अवधि समाप्त होने पर राज्य में पत्थर की उपलब्धता घटेगी जिससे आम जनता को निर्माण कार्यों में अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी। उप समिति चेयरमेन नितेश शारडा ने कहा कि लीज नवीनीकरण के अभाव में स्थानीय ठेकेदार एवं निर्माणकर्ता अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए छत्तीसगढ़, ओड़िशा एवं पश्चिम बंगाल जैसे पड़ोसी राज्यों से गिट्टी-पत्थर आयात कर रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप झारखण्ड सरकार को राजस्व की भारी हानि हो रही है।
चैंबर अध्यक्ष आदित्य मल्होत्रा ने राज्य सरकार से आग्रह किया कि खनिज क्षेत्र की इस गंभीर स्थिति पर तत्काल संज्ञान लें। उन्होंने कहा कि सरकार नीलामी प्रक्रिया पर पुनर्विचार करते हुए समाप्त एवं समाप्ति की स्थिति में पहुँच रही लीजों का शीघ्र नवीनीकरण सुनिश्चित करे ताकि उद्योग, व्यवसाय एवं श्रमिक वर्ग को राहत मिल सके।
एनवायरनमेंट उप समिति के चेयरमेन डॉ अनल सिन्हा ने कहा कि वर्तमान में झारखण्ड में बालू की आपूर्ति कई महीनों से लगभग ठप है और अधिकांश बालू पड़ोसी राज्यों से आयात की जा रही है। परिणामस्वरूप स्थानीय बाजार में कीमतें कई गुना बढ़ चुकी हैं। अब पत्थर उद्योग पर भी यही संकट मंडरा रहा है, जिससे निर्माण कार्यों की लागत और आम जनता पर बोझ और अधिक बढ़ने की संभावना है। यह कहा गया कि झारखण्ड जो खनिज संसाधनों के मामले में देश के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक है, आज गिट्टी बालू जैसी मूलभूत निर्माण सामग्रियों की कमी से जूझ रहा है। यह राज्य की खनन नीति एवं प्रशासनिक असफलता को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
बैठक में चैंबर अध्यक्ष आदित्य मल्होत्रा, उपाध्यक्ष प्रवीण लोहिया, महासचिव रोहित अग्रवाल, सह सचिव नवजोत अलंग, कार्यकारिणी सदस्य तुलसी पटेल, उप समिति चेयरमेन नितेश शारडा, डॉ0 अनल सिन्हा, भोलू जी (मोऐज अख्तर), राम बहादुर सिंह, विद्या भूषण मिश्रा, प्रतीक हेतंसरिया, अभिषेक पोद्दार, हकीम हंसाराय एवं अन्य सदस्य उपस्थित थे।
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रोहित अग्रवाल
महासचिव