प्रेस विज्ञप्ति (दिनांक :06/11/2025)
लैंड रिफॉर्म उप समिति की बैठक
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झारखण्ड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज़ की लैंड रिफॉर्म्स उप समिति की सत्र की पहली बैठक आज चैंबर भवन में संपन्न हुई। बैठक में भूमि सुधार से संबंधित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई और सरकार से शीघ्र ठोस कार्रवाई की अपील की गई। यह कहा गया कि गैर-मजरूआ भूमि संबंधी व्यवस्था बहाल करने के उच्च न्यायालय के आदेश का पालन अब तक नहीं हुआ है। वर्ष 2015 में तत्कालीन राजस्व सचिव श्री के. के. सोन द्वारा जारी आदेश को माननीय उच्च न्यायालय ने वाद संख्या W.P.(C) No. 5088 of 2018 के माध्यम से निरस्त कर दिया था तथा दाखिल-खारिज, रजिस्ट्री और रसीद निर्गत करने की पूर्व की स्थिति बहाल की थी। किंतु आदेश के छह माह बीत जाने के बाद भी राज्य सरकार द्वारा इसे लागू नहीं किया गया, जिस कारण राज्य को भारी राजस्व हानि हो रही है और आम नागरिकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। गैर-मजरूआ भूमि की रसीद नहीं कटने से सीसीएल-बीसीसीएल क्षेत्र के प्रभावित भू-स्वामियों को नौकरी व मुआवजा नहीं मिल पा रहा है जिससे बेरोजगारी बढ रही है। माइनिंग के लिए सरकार ने खुद से लीज पट्टा देना बंद कर दिया है और प्राइवेट भू स्वामियों के माध्यम से माइनिंग लीज निर्गत कर रही है। किंतु गैर मजरूआ भूमि की रजिस्ट्री, दाखिल खारिज एवं रसीद निर्गत नहीं होने के कारण हजारों माइनिंग लीज प्रक्रिया प्रभावित है, जिससे व्यापारी कार्य से वंचित हैं और सरकार का भी राजस्व नुकसान हो रहा है। जिस गैर मजरूआ भूमि पर पिछले 50 वर्षों से उद्योग चल रहे हैं और जो व्यापारी बैंक से ऋण लिये थे किंतु गैर मजरूआ जमीन की रसीद निर्गत नहीं होने के चलते उद्योगों के बैंक खाते फ्रीज़ हो रहे हैं तथा बैंक वैध संपत्ति के दस्तावेज़ नहीं मान रहे हैं। आम नागरिकों को भी हाउसिंग लोन और एजुकेशन लोन जैसी सुविधाओं से भी वंचित होना पड़ रहा है।
लैंड रिफॉर्म उप समिति के चेयरमेन रमेश कुमार साहू ने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद इसपर कार्रवाई नहीं होना चिंतनीय है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक छह अलग-अलग लोगों ने माननीय उच्च न्यायालय में इस विषय में कंटेम्प्ट पिटिशन दाखिल किया है। सरकार को तत्काल निर्णय लेना चाहिए। बैठक में खासमहल भूमि के रेगुलराइजेशन के संबंध में भी चर्चा हुई। यह कहा गया कि माननीय भू-राजस्व मंत्री द्वारा विधानसभा में 8 महीने पूर्व यह घोषणा की गई थी कि 45 दिनों के भीतर शुल्क लेकर खासमहल भूमि का रेगुलराइजेशन किया जाएगा। किंतु आज तक इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ, जिससे सरकार को भी राजस्व हानि हो रही है और भूमि स्वामी अनिश्चितता में हैं। सदस्यों ने राज्य में नई भूमि सर्वे की आवश्यकता पर भी बल दिया। कहा गया कि अन्य राज्यों की तरह झारखण्ड में भी जीआईएस मैपिंग कर नई सर्वे लिस्ट जारी करने की जरूरत है। 1932 के बाद अब तक सर्वे नहीं होने के कारण जनता भूमि विवादों में उलझी हुई है।
बैठक में भूमि कब्जा कानून के निर्माण की मांग दोहराई गई और कहा गया कि झारखण्ड उच्च न्यायालय के निर्देशों के आलोक में राज्य सरकार द्वारा भूमि कब्जा कानूना बनाया जाय। अब तक इस दिशा में पहल नहीं होने से भूमि विवादों के कारण झारखण्ड में भूमि कब्जा के बहुत सारे मुकदमे हो रहे हैं और लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति गंभीर होती जा रही है। चैंबर उपाध्यक्ष प्रवीण लोहिया ने कहा कि इन सभी विषयों पर सरकार से तत्काल वार्ता कर ठोस पहल की मांग की जाएगी ताकि राज्य में भूमि सुधार संबंधी अव्यवस्थाओं को दूर किया जा सके और नागरिकों को राहत मिले। बैठक में चैंबर के उपाध्यक्ष प्रवीण लोहिया, कार्यकारिणी सदस्य मुकेश अग्रवाल, लैंड रिफॉर्म उप समिति के चेयरमेन रमेश कुमार साहू, अधिवक्ता मितुल कुमार, जितेंद्र शाह, अमन चौरसिया, भानू मंडल, अमित साहू, पूनम आनंद, प्रवीण झा उपस्थित थे।
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रोहित अग्रवाल
महासचिव